ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा प्रत्येक प्राणी स्वयं को अभिव्यक्त करना चाहता है। परिदृश्यमान जगत वस्तुत: मनुष्य की आत्माभिव्यक्ति का ही एक साधन मात्र है और इस आत्माभिव्यक्ति के लिए निजभाषा से श्रेष्ठ अन्य कोई माध्यम नहीं हो सकता। https://theodored678spn6.shopping-wiki.com/user